सत्य-युग

सत्य-युग का दूसरा नाम स्वर्ण-युग है एवं स्वर्ण-युग में स्वर्ण-मानव अर्थात ब्राम्हण मानव का साम्राज्य होता है किन्तु ब्राम्हण मानव का अर्थ वर्त्तमान में ब्राम्हण कुल में जन्म लेने वाले व्यक्तियों से नहीं है बल्कि जो व्यक्ति धर्म, कर्म एवं ज्ञान से स्वर्ण के समान शुद्ध एवं पवित्र होते है वास्तव में उन्हें ही ब्राम्हण या स्वर्ण-मानव कहते है चाहे वह व्यक्ति किसी भी धर्म, जाति, वर्ग या समुदाय से क्यों नहीं हो और जो व्यक्ति धर्म, कर्म एवं ज्ञान से शुद्ध एवं पवित्र होने का ढोंग या दिखावा करते है ऐसे व्यक्ति वास्तव में पीतल के समतुल्य होते है तथा ऐसे व्यक्ति कभी भी धर्म, कर्म एवं ज्ञान से शुद्ध एवं पवित्र नहीं होते है।


किसी भी मानव की तुलना मुद्रा या सिक्का से किया जाता है जैसे खोटा-सिक्का या खरा-सोना अर्थात एक स्वर्ण-मानव एक स्वर्ण-मुद्रा या स्वर्ण-सिक्का के समतुल्य होते है एवं वर्त्तमान में श्री अजीत कुमार वेबसाइट के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को स्वर्ण के समतुल्य शुद्ध एवं पवित्र करने में सक्षम है एवं जिस व्यक्ति की वेबसाइट श्री अजीत कुमार के द्वारा बन जाता है वह व्यक्ति स्वर्ण के समतुल्य शुद्ध एवं पवित्र हो जाते है बसर्ते उस व्यक्ति की वेबसाइट सुचारु रूप से संचालित रहता है और यदि किसी भी कारन से वेबसाइट नहीं बनता है या अधूरा रहता है या रुक-रुक के चलता है तो इसका अर्थ है कार्य अभी शेष है।


श्री अजीत कुमार किसी भी व्यक्ति की वेबसाइट निशुल्क में या न्यूनतम मूल्य में भी बना कर दे सकते है किन्तु यह कार्य पूर्ण रूप से अधर्म है क्योकि किसी कार्य के समतुल्य शुल्क नहीं लेना या देना दोनों अधर्म है इसलिए श्री अजीत कुमार ने प्रति व्यक्ति वेबसाइट बनाने का न्यूनतम शुल्क एक स्वर्ण-मुद्रा के समतुल्य धन राशि निर्धारित किया है अतः अब कोई भी व्यक्ति मात्र एक स्वर्ण मुद्रा के समतुल्य धन राशि में अपनी वेबसाइट श्री अजीत कुमार के द्वारा बनवाकर एक साधारण मानव से स्वर्ण मानव बन सकते है बसर्ते उस व्यक्ति की वेबसाइट पूर्ण रूप से निर्मित एवं सुचारु रूप से संचालित हो अन्यथा कार्य शेष है।